Uttarakhand

भू-धंसाव के संकट से जूझ रहे जोशीमठ के जेपी कॉलोनी में फूटी जलधारा के बढ़े प्रवाह ने बढ़ाई शासन-प्रशासन की चिंता 

जोशीमठ।   भू-धंसाव के कारण संकट से जूझ रहे जोशीमठ के जेपी कॉलोनी में फूटी जलधारा के बढ़े प्रवाह ने फिर शासन-प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। एक दिन पहले जल प्रवाह 177 एलपीएम (लीटर प्रति मिनट) पर था, जो बढ़कर 240 एलपीएम पर पहुंच गया।

जोशीमठ के सबसे निचले हिस्से में नगर से करीब नौ किमी दूर बदरीनाथ हाईवे पर मारवाड़ी में स्थित जेपी कॉलोनी में जलधारा दो जनवरी की रात फूटी थी। तब से लगातार मटमैला पानी निकल रहा है। रुड़की स्थित राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) के वैज्ञानिकों ने इस पानी के नमूने भी भरे हैं, जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी है।

शनिवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से वार्ता में सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने खुद इसकी जानकारी दी। बताया, संभवत: शुक्रवार देर शाम हुई बारिश के चलते जल प्रवाह में तेजी आई है। संबंधित एजेंसियों से जल प्रवाह पर बराबर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।

जिला मुख्यालय गोपेश्वर के हल्दापानी क्षेत्र में एक साल से भूस्खलन और भू-धंसाव हो रहा है। अब भू-धंसाव से पड़ी दरारें चौड़ी हो रही है। लोग इन जर्जर भवनों में रहने को मजबूर हैं लेकिन अभी तक इन घरों का वैज्ञानिक निरीक्षण नहीं कराया गया है। हल्दापानी क्षेत्र में पिछले कई सालों से भूस्खलन होने से जमीन धंस रही है लेकिन एक साल से यहां भूस्खलन तेज होने से कई मकानों में दरारें आ गई हैं। हल्दापानी क्षेत्र के लगभग सभी घरों में दरारें आई हैं, लेकिन करीब 15 मकानों में ज्यादा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर पिछले साल से दरारें काफी बढ़ी हैं।

पूर्व जिला पंचायत सदस्य उषा रावत ने बताया कि यहां के लोग एक साल से आवाज उठा रहे हैं लेकिन अभी तक उनके घरों का वैज्ञानिक सर्वे तक नहीं कराया गया। उन्होंने कहा कि जोशीमठ में सरकार और पूरा प्रशासन सक्रिय हुआ है, लेकिन हल्दापानी की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।  हल्दापानी में एक साल पहले अनिल रतूड़ी का घर पूरी तरह ध्वस्त हो गया जिसके चलते उनको घर छोड़ना पड़ा। इसके अलावा मधु नेगी, अनीता नेगी, दीपा भट्ट, शिव सिंह बिष्ट, अनीता झिंक्वाण, गुड्डी देवी, उमा थपलियाल, विमला रावत, दीपा फरस्वाण सहित अन्य के घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आई हुई है।

शासन ने दिसंबर में हल्दापानी के ट्रीटमेंट के लिए 29 करोड़ 97 लाख रुपये जारी किए गए। इससे यहां पर भूस्खलन क्षेत्र का ट्रीटमेंट के साथ पानी निकासी सहित अन्य सुरक्षा के कार्य किए जाने हैं। सिंचाई विभाग इसके लिए कार्यदायी संस्था नियुक्त की गई है। ऊषा रावत ने बताया कि यह पैसा ट्रीटमेंट के लिए दिया गया है, लेकिन जिनके घर टूट गए या रहने लायक नहीं बचे उनके लिए सरकार ने कोई पैसा नहीं दिया है।

सब्जी मंडी परिसर से सटे आईटीआई मोहल्ले में कई घरों में भी पिछले एक साल से दरारें पड़ी है जिससे लोग खौफ के साये में रात काटने को मजबूर हैं। लोगों ने प्रशासन से जल्द समस्या के निराकरण की मांग की है। कर्णप्रयाग के बहुगुणानगर, आईटीआई, सब्जीमंडी के ऊपरी भाग, राजनगर व अपर बाजार मोहल्ले में बरसात में भू-धंसाव व भूस्खलन में तेजी आने पर प्रभावित लोगों ने प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई थी।

आईटीआई निवासी सोहन नौटियाल ने एसडीएम को पत्र देकर कहा कि उनके मकान में पिछले 2-3 सालों से दरारें आनी शुरू हुई लेकिन पिछले साल जुलाई-अगस्त में जमीन धंसने से मकान में दरारें बढ़ गई जो अभी भी जारी है। ऐसे में वे एक साल से दूसरी जगह पर किराये के मकान में रह रहे हैं। कहा कि प्रशासन की ओर से उन्हें कोई सहायता नहीं दी जा रही है।

धीरे-धीरे उनके मकान सहित आसपास की जमीन भी धंस रही है। कई बार प्रशासन से सुरक्षा के इंतजाम करने को कहा गया लेकिन कोई समाधान नहीं किया गया। बताया कि उन्हीं के मोहल्ले में प्रदीप रावत और सीता देवी सहित अन्य कई लोगों के घरों में भी दरारें पड़ी है। उन्होंने प्रशासन से जल्द ट्रीटमेंट की मांग उठाई है। वहीं, तहसीलदार एसएस देव ने कहा कि सभी प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया जा रहा है। सुरक्षा के उपाय करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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