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कांग्रेस ने कहा, ‘आंसू सरकार की बेशर्मी का सबूत’ साक्षी का संन्यास भारतीय खेलों में एक काला अध्याय

नई दिल्ली। पहलवान साक्षी मलिक के संन्यास की घोषणा के बाद कांग्रेस ने कहा कि ओलंपियन पहलवान का एक-एक आंसू मोदी सरकार की बेशर्मी का सबूत है और देश के खेल इतिहास में एक काला अध्याय है। भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए, कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ब्रजभूषण सिंह का तंत्र और मोदी सरकार का समर्थन मंत्र न्याय के साथ एक साजिश है। उन्होंने कहा कि किसान बेटियों और पहलवान मलिक की आंखों से आंसू की एक-एक बूंद सरकार की बेशर्मी का सबूत है।

सुरजेवाला ने कहा कि ‘बेटियों को रुलाना, बेटियों को सताना और घर बैठा देना’ बीजेपी सरकार की खेल नीति बन गई है।
सुरजेवाला ने कहा,संसद और सरकार खिलाडिय़ों के आंसुओं, बेटियों की बेबसी, जो खेलों में बाधा बन रही है, पर चुप क्यों हैं? उन्होंने यह भी कहा कि पहलवान बेटियों के यौन शोषण के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह के सहायक और ‘नामित’ संजय सिंह के चुनाव के बाद ओलंपिक पदक विजेता मलिक द्वारा संन्यास की घोषणा करना, खेल इतिहास में एक काला अध्याय है। उन्होंने कहा, चैंपियन महिला पहलवानों के प्रति ‘अत्याचार और अन्याय’ के लिए सीधे तौर पर मोदी सरकार जिम्मेदार है। इससे पता चलता है कि न्याय के लिए आवाज उठाने वाली बेटियों को जबरन रिटायर कर घर भेज दिया जाएगा और अपराधी सत्ता के खंभों पर हमला बोलेंगे और बेटियों की बेबसी का मजाक उड़ाएंगे।

उन्होंने कहा, शायद इसीलिए यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण सिंह ने कुश्ती संघ के चुनाव के बाद कहा था, ‘दबदबा था, दबदबा रहेगा’। उन्होंने कहा कि न्याय की गुहार लगा रही बेटियों पर तंज कसते हुए बीजेपी सांसद बृजभूषण सिंह ने भी बेटियों को नकार दिया था और कहा था, ‘जिन पहलवानों को राजनीति करनी है वो राजनीति करें और जिन्हें पहलवानी करनी है वो कुश्ती लड़ें। उन्होंने यह भी कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि हरियाणा के एक साधारण किसान परिवार की बेटी, जिसका जन्म रोहतक के मोखरा गांव में हुआ, वह देश के लिए ओलंपिक पदक विजेता बनी और आज मोदी सरकार ने उसे घर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया है।

उन्होंने कहा,देश की पहलवान बेटियां 39 दिनों तक तपती दोपहरी में जंतर-मंतर पर बैठी रहीं, संसद का दरवाजा खटखटाती रहीं और सिसकती रहीं न्याय की मांग करती रहीं, लेकिन न्याय देने की बजाय भाजपा सरकार ने उन्हें दिल्ली पुलिस से कुचलवाया और सडक़ों पर घसीटा। उन्होंने कहा कि यह स्थिति तब है, जब महिला पहलवानों ने अपने ऊपर हो रहे अत्याचार की शिकायत प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और खेल मंत्री तक से की थी। कांग्रेस नेता ने कहा,उस समय भी देश की बेटियों को सिर्फ एफआईआर दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीजेपी की दिल्ली पुलिस ने एफआईआर तो दर्ज कर ली, लेकिन बीजेपी सांसद बृजभूषण सिंह को ये कहकर गिरफ्तार नहीं किया।

इससे बड़ी राष्ट्रीय शर्म की बात क्या हो सकती है कि दुनिया भर में देश का नाम रोशन करने वाली पहलवान बेटियों को न्याय मांगने के लिए गंगा नदी में अपने पदक बलिदान करने जैसा कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसका एकमात्र कारण यह है कि भाजपा सांसद ‘बृजभूषण सिंह मोदी सरकार के कृपापात्र हैं।’ उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय कुश्ती महासंघ और बीसीसीआई से लेकर देश के सभी खेल संघ मोदी सरकार और भाजपा नेताओं के नियंत्रण में हैं।

एक तरफ तो बीजेपी सरकार कहती है कि उन्होंने खेल संघों को राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त कर दिया है, लेकिन हकीकत इसके उलट है। इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि पहलवान बेटियों पर इतने बड़े अत्याचार के बाद भी बीजेपी सरकार ऐसा करना नहीं चाहती। भारतीय कुश्ती संघ को उसके पसंदीदा सांसद बृजभूषण सिंह के कब्जे से मुक्त कराएं।

उन्होंने कहा कि क्या मोदी को इस देश में एक भी महिला खिलाड़ी या सज्जन नहीं मिले, जो भारतीय कुश्ती संघ की कमान संभाल सकें। अगर ऐसा ही चलता रहा तो बेटियां और उनके परिवार किस पर भरोसा करेंगे कि वे अपनी बेटियों को देश के लिए खेलने के लिए भेजेंगे? यह अत्याचार सिर्फ मलिक और अन्य पहलवान बेटियों पर नहीं हुआ, इस अत्याचार ने देश की करोड़ों बेटियों की उम्मीदों को तोड़ दिया है। देश और मोदी सरकार इसके लिए जिम्मेदार है।

उन्होंने कहा कि देश की बेटियों के भी सवाल हैं कि मोदी सरकार चुप क्यों है? किसान की पहलवान बेटियों की सिसकियों और आंसुओं पर देश की संसद चुप क्यों है? देश का खेल जगत और उसकी मशहूर हस्तियां चुप क्यों हैं? तो क्या यह मान लिया जाए कि अब नए भारत में प्रभुत्व, भय और अन्याय सामान्य बात है। कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी 2016 रियो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता मलिक द्वारा संजय सिंह के भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष चुने जाने के बाद कुश्ती छोडऩे की घोषणा के एक दिन बाद आई है।

यहां संवाददाता सम्मेलन को रोते हुए छोडऩे से पहले मलिक ने अपने जूते उतारकर मंच पर रख दिए। भावुक मलिक ने कहा, मैं निराश हूं और मैं अब कुश्ती में प्रतिस्पर्धा नहीं करूंगी। संजय सिंह पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण सिंह के करीबी सहयोगी हैं, जिन्हें ओलंपियन बजरंग पुनिया, साक्षी और विनेश फोगट के नेतृत्व में पहलवानों के एक समूह द्वारा लंबे आंदोलन के बाद पद से हटा दिया गया था।

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