Blog

कब शांत होगा मणिपुर?

बेशक कहा सकता है कि आरंभ में केंद्र सरकार मणिपुर में विस्फोटक हो चुकी हालत का सटीक जायजा लेने में नाकाम रही। वरना, अब जो कोशिशें शुरू हुई हैं, उन्हें इस महीने के आरंभ में तभी किया जाता, जब अचानक मणिपुर सुलग उठा था। मणिपुर में महीने भर से जारी हिंसा और आगजनी के बीच आखिरकार गृह मंत्री अमित शाह ने चार दिन का राज्य का दौरा शुरू किया है। इसके पहले सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे राज्य में सुरक्षा की स्थिति की समीक्षा के लिए वहां गए थे। यह तो बेशक कहा सकता है कि आरंभ में केंद्र सरकार मणिपुर में विस्फोटक हो चुकी हालत का सटीक जायजा लेने में नाकाम रही। वरना, अब जो कोशिशें शुरू हुई हैं, उन्हें इस महीने के आरंभ में तभी किया जाता, जब अचानक मणिपुर सुलग उठा था।

जारी हिंसा के बीच राज्य में मैतेयी और कुकी समुदायों के बीच खाई बेहद चौड़ी हो चुकी है। इस बीच राज्य सरकार 40  कुकी आतंकवादियों को मार गिराने का दावा कर पूरे घटनाक्रम में एक नया पहलू जोड़ चुकी है। सवाल यह उठा है कि क्या मणिपुर अब आतंकवाद ग्रस्त हो गया है? राज्य में भाजपा नेताओं पर हमलों की घटनाएं भी हुई हैं। केंद्रीय मंत्री डॉ. आरके रंजन, राज्य में मंत्री गोविंद दास, विश्वजीत और खेमचंद के घरों पर हमले हो चुके हैं। संभवत: सबसे बड़ा सवाल यह उठा है कि मौजूदा हिंसा ने पर्वतीय और मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों के बीच नफरत और अविश्वास की जो गहरी खाई पैदा की है, क्या उसे निकट भविष्य में पाटा जा सकेगा?

राज्य के राजनीतिक विश्लेषकों का तो अनुमान है कि मैतेई और कुकी संगठनों के बीच दशकों पुराने इस विवाद के अब इस हद तक सुलग उठने के बाद दोनों समुदायों के बीच बढ़ी कड़वाहट खत्म होने के आसार कम ही हैं। यह भी गौरतलब है कि न सिर्फ पर्वतीय इलाकों में रहने वाले कुकी, बल्कि मैदानी इलाकों के बाशिंदे मैतेयी समुदाय के लोग भी प्रशासन से बेहद खफा हैं। एक घटना में मैतेयी-बहुल विष्णुपुर जिले में सैकड़ों महिलाओं ने नेशनल हाई-वे की नाकेबंदी कर असम राइफल्स के जवानों को भीतरी इलाकों में जाने से रोक दिया। उनका आरोप था कि सेना और सुरक्षा बल हिंसा और आगजनी से उनकी रक्षा करने में नाकाम रहे हैं। क्या अमित शाह की यात्रा से लोगों में भरोसा बहाल करने में मदद मिलेगी?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *