Blog

बीबीसी को लेकर बढ़ता विवाद

अजय दीक्षित
पहले गुजरात दंगों को लेकर वीवीसी द्वारा बनाई गई डाक्यूमेंटरी को वैन किया गया। फिर कुछ दिन बाद इनकम टेक्स विभाग ने वीवीसी के दफ्तरों में जाकर अकांउट्स की जांच शुरू कर दी। ऐसा होते ही वीवीसी को लेकर वहसें होने लगीं। विपक्षियों ने इसे मीडिया की आजादी पर हमला कहा। कई का मानना रहा कि दुनिया बीबीसी की खबरनवीसी पर भरोसा करती है। मानते हैं कि खवर वनाने के उसके मानक ऊंचे हैं। उसे वैन करना बदले की कार्रवाई है। इसके वरक्स बीबीसी के आलोचक कहते रहे कि वीवीसी अव भी कॉलोनियल संस्था है। अपने पूर्व उपनिवेशों को अब भी उपनिवेश की तरह लेती है और उनके अंदरूनी मामलों में दखल देती रहती है…इसी आधार पर एक वार इंदिरा गांधी ने भी वीवीसी पर वैन लगाया था।

उसके दफ्तर सील कर दिए थे। उसके स्टाफ को वापस भेज दिया था… । इस वैन का कारण था बीबीसी द्वारा देश के तव के हालात को अपने पूर्वाग्रही नजरिए से बताना । वीवीसी का नजरिया तव की जनतांत्रिक सत्ता को निरंकुशतावादी वताता था । उसकी खवरें देश की शांति व्यवस्था के लिए खतरा नजर आती थीं । इसलिए इन्दिरा गांधी ने उसे वैन किया था। इन दिनों के वैन करने वाले यही कहते हैं। कि इन्दिरा गांधी ने भी तो अपने वक्त में बीबीसी को वैन किया था । हमने किया तो क्या गुनाह किया? आखिर, वह फिर से भारत की छवि को विदूपित करने के चक्कर में है। उसकी डाक्यूमेंटरी झूठ का पुलिंदा है । जव देश के सुप्रीम कोर्ट ने तव के गुजरात के सीएम और अव पीएम को गुजरात के दंगों में किसी भी प्रकार से लिप्त न पाकर, सभी आरोपों से बरी कर दिया तव वीवीसी क्यों गड़े मुरदे उखाड़ रही है? क्या वह सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर है? ऐसे आलोचकों का मानना है कि गुजरात के दंगों को फिर से कुरेदना बीबीसी की नव्य औपनिवेशिक राजनीति का हिस्सा है। आलोचक मानते हैं कि इस झूठी कहानी को गढ़ा है जेक स्ट्रॉ नामक गोरे नेता ने जो खुद इंग्लैंड के इस्लामिक तत्ववादियों से जुड़ा है, जो अक्सर ऐसी झूठी खबरें गढक़र किसी हिट मैन की तरह काम करता है।

जव भारत की इकॉनमी उठान पर है, भारत को दुनिया में ताकतवर राष्ट्र के रूप में गिना जाने लगा है, दुनिया के देशों और बाजारों में छाई मंदी और मुर्दनी के बावजूद इण्डिया की ग्रोथ की कहानी सबसे बेहतरीन दर से बढ़ रही है, और उसकी इकॉनमी ने इंग्लैंड को भी पीछे छोड़ दिया है, ऐसे में यह डाक्यूमेंटरी लाई गई है। बीबीसी के आलोचक यह भी मानते हैं कि पीएम मोदी आज के भारत की तेज ग्रोथ की कहानी के महानायक हैं। भारत के विकास के सबसे बड़े प्रतीक हैं। ऐसे पीएम की छवि पर की जाती चोट, देश पर की जाती चोट है। उनकी छवि गिरती है तो इंडिया की छवि भी गिरती है और वाजार के सेंटीमेंट डाउन होते हैं। इस डाक्यूमेंटरी को इण्डिया की ग्रोथ की कहानी को डाउन करने के लिए बनाया गया है, इसलिए इसे वैन करना उचित है ।

वे यह भी कहते हैं कि सिर्फ सार्वजनिक प्रदर्शन पर ही रोक लगाई गई है, इंदिरा की तरह दफ्तर सील नहीं किए हैं, न कर्मचारियों को भगाया ही है। ऐसे आलोचक इस सबको देश के खिलाफ तिहरी साजिश की तरह देखते हैं जैसे कि पहले वीवीसी की डाक्यूमेंटरी का आना, फिर विश्व वाजार में शॉर्ट सेलिंग के उस्ताद हिंडनवर्ग की रिपोर्ट का आना और दुनिया के नंबरी सेठ अडाणी का गिरना और फिर दुनिया के सट्टाखोर अरवपति जॉर्ज सोरोस का मोदी और अडाणी के खिलाफ बोलना और अगले चुनाव में मोदी के न जीतने देने की वात कहना। एक ही पखवाड़े में एक नहीं, दो नहीं, तीन तीन हमले और वो भी विदेशी संस्थाओं के हम किसी तटस्थ व्यक्ति को यह बताने के लिए काफी है कि भारत को घेरा जा रहा है, और हमारे अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप किया जा रहा है। जव सोरोस जैसा सटोरिया एक अरब डॉलर का फण्ड देकर खुलेआम इण्डिया को फेल करने, यहां के कई मीडिया व नीति संस्थानों को डॉलर देने का खेल खेलता हो, जिसके लोग हिंडनवर्ग से लेकर भारत जोड़ो तक से जुड़े दिखते हों वहां सत्ता पक्ष के तर्क और भी दमदार नजर आते हैं। फिर भी हमारा मानना है कि वीवीसी को वैन करना उचित नहीं लेकिन बीबीसी का कॉलोनियल नजरिए से काम करना भी सही नहीं ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *