Blog

काल्पनिक भेडिये का भय

ओमैग ने कहा है- ‘भय फैलाने की प्रवृत्ति से बचा जाना चाहिए, ताकि लोग उस समय चेतावनियों को नजरअंदाज ना कर दें, जब सचमुच भेडिय़ा आएगा।’ तमाम आंकड़े और संकेत ओमैग की कही बातों के पक्ष में जाते हैँ।

कोरोना संक्रमण की नई लहर को लेकर भारत में बनाभय, इस बात की ही मिसाल है कि देश में मेडिकल हालात के राजनीतिक दुरुपयोग की प्रवृत्ति किस हद तक पहुंच गई है। क्या अफसोसनाक नहीं है कि देश में कोरोना की नई लहर का खतरा किस हद तक है, इस पर डॉक्टरों की संस्थाएं ही बंट जाएं? केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात के तुरंत बाद देश में डॉक्टरों की एक संस्था- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने पिछले हफ्ते ये चेतावनी जारी कर दी कि देश पर नई लहर का खतरा मंडरा रहा है। अब 15 मेडिकल एसोसिएशनों के संघ- ऑर्गनाइज्ड मेडिसीन एकेडमिक गिल्ड (ओमैग) ने डॉक्टरों और सरकारी एजेंसियों से भारत की लगभग सुरक्षित स्थिति को स्वीकार करने को कहा है। ओमैग ने कहा है- ‘भय फैलाने की प्रवृत्ति से बचा जाना चाहिए, ताकि लोग उस समय चेतावनियों को नजरअंदाज ना कर दें, जब सचमुच भेडिय़ा आएगा।’ तमाम आंकड़े और संकेत ओमैग की कही बातों के पक्ष में जाते हैँ।

अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विशेषज्ञों के एक बड़े हिस्से में आम राय है कि कोरोना वायरस अब कमजोर पड़ चुका है। इसके नए संस्करण संक्रामक हो सकते हैं, लेकिन उनसे आपातकालीन स्थिति पैदा होने की आशंका नहीं है। इस बात की मिसाल चीन ही है, जहां तेजी से संक्रमण बढऩे के बावजूद मौतों की दर बेहद निम्न रही है और अब नए संक्रमण के मामले भी उतार पर हैँ। भारत में स्थिति यह है कि 90 प्रतिशत आबादी में कोविड संक्रमित होने या टीकाकरण के कारण इस वायरस के प्रति इम्युनिटी पैदा हो चुकी है। इसलिए 2020 या 2021 जैसे हालात पैदा होंगे, इसका अंदेशा बेहद कम है। वैसे ओमैग जैसी संस्थाएं भी मानती हैं कि सावधानी की जरूरत है। दरअसल, सावधानी एक स्थायी तकाजा है, जिस पर लगातार जोर दिए जाने की आवश्यकता है। लेकिन सावधानी और दहशत में फर्क होता है। इस बार दहशत का माहौल किस मकसद से बनाया गया, इस बारे में ठोस रूप से कुछ कहना संभव नहीं है। लेकिन ऐसा करने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, यह बात लगभग पक्के भरोसे के साथ कही जा सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *