Friday, March 24, 2023
Home Blog भारत में विदेशी शिक्षण संस्थानों की डिग्री

भारत में विदेशी शिक्षण संस्थानों की डिग्री

अजय दीक्षित
विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए भारत में परिसर स्थापित करने की दिशा में कदम उठाते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसके लिए नियम जारी किए हैं। विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर स्थापित करने के लिए यूजीसी से मंजूरी लेनी होगी, वहीं उन्हें दाखिला प्रक्रिया तथा शुल्क ढांचा तय करने की छूट होगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अनुसार विदेशी विश्वविद्यालय केवल परिसर में प्रत्यक्ष कक्षाओं के लिए पूर्णकालिक कार्यक्रम पेश कर सकते हैं, ऑनलाइन माध्यम या दूरस्थ शिक्षा माध्यम से नहीं।

प्रारंभ में इन्हें 10 साल के लिए मंजूरी दी जाएगी भारत में परिसर स्थापित करने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों को अपनी स्वयं की प्रवेश प्रक्रिया तैयार करने की छूट होगी। ये संस्थान शुल्क ढांचा तय कर सकते हैं। इसमें एक श्रेणी उन संस्थानों की होगी जो सम्पूर्ण रूप से शीर्ष 500 संस्थानों की सूची। में होंगे और दूसरे गृह क्षेत्र में उत्कृष्ट दर्जे वाले संस्थान होंगे। विदेशी संस्थानों को भारत और विदेशों से शिक्षकों एवं कर्मचारियों की नियुक्ति की छूट होगी। विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में शिक्षा उपलब्ध कराने की अनुमति देना हालांकि एक बुरा कदम नहीं कहा जा सकता है, लेकिन इससे जुड़े कुछ चुनिंदा पहलुओं को भी विचारना होगा। सबसे पहले यह विचार करें कि विदेशी विश्वविद्यालयों को देश में लाने की जरूरत क्यों हुई है? पिछले कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय पटल पर हमारे देशी विश्वविद्यालय गुणात्मक उच्च शिक्षा के विश्व स्तर पर मानदंड स्थापित करने में कामयाब नहीं हुए हैं।

हमारे उच्च शिक्षा उपलब्ध करवाने वाले संस्थान, सिवाय आईआईटी और आईआईएम के शेखी तो बघारते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैठ नहीं जमा पाए हैं। परंतु हम सब खुद को मनोवैज्ञानिक तसल्ली देने के लिए कह सकते हैं कि हमारा देश वही भारत है जहां कभी विदेशों से बहुत ही मेधावी छात्र और विद्वान ज्ञान प्राप्ति के लिए नालंदा और तक्षशिला जैसे देशी विश्वविद्यालयों में आते थे, पर अब तो अफ्रीका जैसे अत्यंत गरीब देशों से या फिर पड़ोसी मुल्कों से कुछ गरीब छात्र हमारे विश्वविद्यालयों में देखे जाते हैं। ऐसी स्थितियां क्यों हैं कि विदेशी विश्वविद्यालयों को हमारी उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए आना पड़ रहा है या फिर हम उनके लिए अपने द्वार खोल रहे हैं। हमें विवेचना करनी होगी कि हमारे पास देशी विश्वविद्यालयों की अकादमिक गुणवत्ता सुधारने के लिए किस तरह की कार्य योजना है? यदि नहीं है तो इस पर तुरंत काम होना चाहिए और संबंधित सिस्टम को काम करना चाहिए। आज देश के लाखों मेधावी छात्र उच्च शिक्षा हासिल करके अपनी काबीलियत को साबित करना चाहते हैं, लेकिन प्रशासनिक हस्तक्षेप का शिकार और बुद्धिजीवी क्षमताओं पर समझौता करने वाले अनेक देशी विश्वविद्यालय उनकी पसंद नहीं हैं। ऐसा क्यों है? मेड इन इंडिया को उच्च शिक्षा में प्रोत्साहित करने के लिए इस पर गहन चिंतन और वांछित कदमों की जरूरत है। हमें महसूस करना चाहिए कि देश के बेहतर उच्च शिक्षा के चाहवान गरीब छात्र महंगी विदेशी ब्रांडेड शिक्षा का आर्थिक बोझ नहीं उठा सकते हैं। अनेक राज्यों में तो किसानों के बच्चे अपनी पारिवारिक कृषि भूमि बेच कर बाहर शिक्षा प्राप्त करने जा रहे हैं।

ऐसा देखने में आ रहा है कि विदेशी धरती पर पढने जाना काफी देशी छात्रों के लिए विदेशों में काम के जरिये डॉलर कमाने का रास्ता है। देश का कीमती फरिन एक्सचेंज इन विदेशी शिक्षा संस्थानों को अदा करने से बाहर जा रहा है और इससे देश की आर्थिक हालत दबाव में आती है। इससे देश में सामाजिक असंतुलन पैदा हो रहा है जिसे हम नजरअंदाज कर रहे हैं। क्या विदेशी विश्वविद्यालयों की देश में मौजूदगी इन छात्रों के विदेश जाने की मुहिम रोक सकेगी? और विदेशी मुद्रा का बाहर जाना कम कर सकेगी? कहना न होगा कि लार्ड मैकाले की कुत्सित सोच पर आधारित शिक्षा मॉडल ने हमारे देश को विदेशी शिक्षा संस्कृति की मानसिक गुलामी दे रखी है। इसके सामने आज भी हम नतमस्तक हैं, क्योंकि हमारे पास कोई वैकल्पिक मॉडल नहीं है जिसके कारण इसके गलत प्रभाव हम आज तक भुगत रहे हैं। पाश्चात्य शिक्षा मॉडल्स ने बुनियादी भारतीय शिक्षा मॉडल की मौलिकता लगभग खत्म कर डाली है। अब प्रश्न यह भी है कि क्या विदेशी विश्वविद्यालय हमारे देश की शिक्षा जरूरतों के लिए मुफीद साबित होंगे या फिर विदेशी परफ्यूम की खुशबू की तरह साबित होंगे?

क्या इनकी शिक्षा हासिल करने वाले छात्र शिक्षा हासिल करने के बाद डॉलर कमाने के चक्कर में बाहर का रुख नहीं करेंगे? और तो और, क्या ये देश के हितों के प्रति संवेदनशील होंगे? क्या इनसे शिक्षा हासिल करने वालों के लिए हमारे पास पर्याप्त आर्थिक मौके होंगे? इन सब बातों को विचारने की जरूरत है। पाक्षात्य मूल्यों से प्रभावित शिक्षा के ब्लू प्रिंट्स ने भारतीय नैतिक मूल्यों को सही स्थान नहीं दिया है और इन मूल्यों को कमजोर करने का काम किया है। इस बात से कौन इनकार करेगा कि देश का छात्रों के रूप में बहुमूल्य शैक्षणिक धन देश के ही काम आना चाहिए। क्या विदेशी विश्वविद्यालयों का मकसद शिक्षा को एक व्यापारिक उत्पाद के रूप में पेश करना होगा या फिर शिक्षा उनके लिए सामाजिक और कल्याणकारी उत्पाद होगा जो कि देसी शिक्षा संस्थानों में भी कम हो रहा है ।

RELATED ARTICLES

टेक्सटाइल मेगा पार्क- मेक इन इंडिया के तहत पूरी दुनिया के लिए भारतीय उत्पाद निर्माण की ओर एक बड़ा कदम

पीयूष गोयल   प्राचीन काल से चली आ रही भारतीय वस्त्रों की समृद्ध परंपरा, एक लंबी छलांग लगाने के लिए तैयार है, जो देश को...

मंत्रिमंडल में फेरबदल की भी सिर्फ चर्चा हुई

ऐसा नहीं है कि सिर्फ भाजपा संगठन में यथास्थिति बनी हुई है। केंद्र और राज्यों की सरकारों में भी यथास्थिति कायम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र...

अमेरिका में अगला राष्ट्रपति कौन?

अजय दीक्षित अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी की भारतवंशी नेता निक्की हेली ने सन् 2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में अपनी दावेदारी के लिए औपचारिक...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Latest Post

सीएम धामी ने राष्ट्रीय स्तर के 168 पदक विजेता खिलाड़ियों एवं 42 प्रशिक्षकों को नकद पुरस्कार से किया सम्मानित

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को देहरादून स्थित नवीन बहुद्देशीय क्रीड़ा भवन, परेड ग्राउण्ड में खेल विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वर्ष 2019-20...

कंप्यूटर एसेसरीज की बिक्री में गिरावट के चलते लॉजिटेक ने 300 कर्मचारियों को निकाला

नई दिल्ली। स्विस प्रौद्योगिकी फर्म लॉजिटेक ने चुनौतीपूर्ण वैश्विक मैक्रो-इकोनॉमिक माहौल के बीच 300 कर्मचारियों को निकाल दिया है। पीपल मैटर्स की रिपोर्ट के अनुसार,...

पहाड़ का ‘पिस्यूं लूण’ देशभर में बिखेर रहा जायका, विदेश में रहने वाले भी हैं सिलबट्टे पर पिसे नमक के शौकीन

देहरादून। पहाड़ का ‘पिस्यूं लूण’ (पिसा हुआ नमक) नमकवाली ब्रांड के नाम से देशभर में जायका बिखेर रहा है और इसे पहचान दिला रही हैं...

आंचल दूध के सैंपल फेल मामले में डीएम को दिए जांच के आदेश, एक सप्ताह में रिपोर्ट उपलब्ध कराने के दिए निर्देश

देहरादून। आंचल दूध के सैंपल फेल होने के मामले में शासन ने डीएम देहरादून को जांच के आदेश दिए हैं। सचिव दुग्ध विकास विभाग ने...

बिना जिम जाएं घर पर ही कर सकते हैं ये 10 लेग एक्सरसाइज, मिलेगी मजबूत और सुंदर टांगे

वजन कम करते हुए हमेशा फिट और हेल्दी रहना हर किसी को बहुत पसंद होता है। लेकिन इसके लिए सिर्फ मोटापे पर ही ध्यान...

मैक्स अस्पताल में अपॉइंटमेंट दिलाने का झांसा देकर सेवानिवृत्त कार्मिक से ठगे एक लाख रुपये, अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज

देहरादून। मैक्स अस्पताल में चिकित्सक की अपॉइंटमेंट दिलाने का झांसा देकर ठग ने सेवानिवृत्त कार्मिक से एक लाख रुपये ठग लिए। प्रेमनगर थाना पुलिस ने...

देहरादून एयरपोर्ट के लिए डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने 26 फ्लाइट संचालित करने की दी अनुमति, गोवा के लिए शुरू की जाएगी फ्लाइट

देहरादून। जौलीग्रांट में स्थित देहरादून एयरपोर्ट के लिए डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने 26 फ्लाइट संचालित करने की अनुमति दी गई है। देहरादून...

अक्षय कुमार की ओह माय गॉड 2 सिनेमाघर छोड़ वूट और जियो सिनेमा पर होगी रिलीज

ओह माय गॉड यानी ओएमजी अक्षय कुमार की शानदार मूवीज में से एक रही है। जिसका सीक्वल बनाने की डिमांड भी जोरों पर रही...

फिरौती के लिए अपहरण के आरोप में बेंगलुरु के दो पुलिसकर्मी गिरफ्तार

बेंगलुरु। बेंगलुरु में दो पुलिसकर्मियों को एक व्यक्ति का अपहरण करने और उसकी रिहाई के लिए उसके परिवार से 40 लाख रुपए मांगने के मामले...

विशाखापत्तनम में इमारत गिरने से तीन की मौत, पांच घायल

विशाखापत्तनम। रात तीन मंजिला एक इमारत के गिर जाने से तीन लोगों की मौत हो गई और पांच घायल हो गए। स्थानीय लोगों के अनुसार,...