Sunday, December 10, 2023
Home Blog जलवायु बदलाव : पर्यावरण लक्ष्यों के लिए न्याय की राह

जलवायु बदलाव : पर्यावरण लक्ष्यों के लिए न्याय की राह

भारत डोगरा
विश्व स्तर पर आज किसी भी अन्य पर्यावरण समस्या की अपेक्षा जलवायु बदलाव के नियंत्रण की अधिक चर्चा हो रही है। यह सभी देशों के लिए महत्त्वपूर्ण भी है, पर कुछ पश्चिमी धनी देश इस समस्या को उठाते समय भूल जाते हैं कि निर्धन और विकासशील देशों के लिए गरीबी और अभाव को दूर करना भी जरूरी है। यदि सभी देशों को साथ लेकर चलना है, तो गरीबी और अभाव दूर करने पर भी समुचित ध्यान देना होगा।

महत्त्वपूर्ण विकासशील देश के रूप में भारत की यह भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण हो सकती है कि जलवायु बदलाव को नियंत्रित करने के एजेंडे को न्यायसंगत बनाया जाए। इसके लिए विश्व स्तर पर ऐसा कार्यक्रम बनना चाहिए जिसमें ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य को सब लोगों की बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लक्ष्य से जोड़ा जाए। आज भी जलवायु बदलाव जैसे मुद्दे के साथ व्यापक स्तर के जन-आंदोलन नहीं जुड़ सके हैं। पर्यावरण की रक्षा से जुड़े लोगों को इस बारे में गहरा चिंतन-मनन करना होगा कि जिस समय पर्यावरण आंदोलन की सार्थकता अपने उत्कर्ष पर है, उस समय में विश्व स्तर पर उसे वैसा व्यापक जन-समर्थन क्यों नहीं मिल रहा है, जिसकी उसे जरूरत है। इस बारे में पूरी ईमानदारी से चिंतन-मनन किया जाए तो स्पष्ट हो जाएगा कि बढ़ती प्रासंगिकता के बावजूद विश्व स्तर पर पर्यावरण आंदोलन का जन-आधार इस कारण व्यापक नहीं हो सका है क्योंकि इसमें न्याय और समता के मुद्दों का उचित ढंग से समावेश नहीं हो पाया है। दुनिया की आधी से अधिक जनसंख्या अपनी बुनियादी जरूरतों को भी ठीक से पूरा नहीं कर पाती। उनको बार-बार केवल यह कहना कि पेट्रोल और गैस के उपयोग को कम करना है, या विशेष तरह के उत्पादों के उपयोग को कम करना है, एक तरह से अर्थहीन है क्योंकि वे तो रोटी, कपड़ा, मकान आदि की बुनियादी जरूरतों को भी ठीक से पूरा नहीं कर पा रहे हैं। पर्यावरण रक्षा व जलवायु बदलाव की बहस में उनके लिए आखिर, क्या है?

जलवायु बदलाव के संकट को नियंत्रण करने के उपायों में जनसाधारण की भागेदारी प्राप्त करने का सबसे असरदार उपाय है कि विश्व स्तर पर ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन में पर्याप्त कमी उचित समय-अवधि में लाए जाने की योजना बनाई जाए जो सभी लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने से जुड़ी हो और इस योजना को कार्यान्वित करने की दिशा में तेजी से बढ़ा जाए। यदि इस तरह की योजना बनाकर कार्य किया जाएगा तो ग्रीनहाऊस गैस उत्सर्जन में कमी के जरूरी लक्ष्य के साथ-साथ करोड़ों अभावग्रस्त लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का लक्ष्य अनिवार्य तौर पर जुड़ जाएगा और इस तरह ऐसी योजना के लिए करोड़ों लोगों का उत्साहवर्धक समर्थन प्राप्त हो सकेगा। ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए कुछ हद तक हम फॉसिल ईधन के स्थान पर अक्षय ऊर्जा (जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा) का उपयोग कर सकते हैं, पर केवल यह पर्याप्त नहीं है। विलासिता और गैर-जरूरी उपभोग कम करना भी जरूरी है। यह तो बहुत समय से कहा जा रहा है कि विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों का दोहन सावधानी से होना चाहिए और वनों, चरागाहों, कृषि भूमि और खनिज-भंडारों का उपयोग करते हुए इस बात का  ध्यान रखना चाहिए कि पर्यावरण की क्षति न हो या उसे न्यूनतम किया जाए। जलवायु बदलाव के दौर में अब नई बात यह जुड़ी है कि विभिन्न उत्पादन कार्यों के लिए कितना कार्बन स्थान या स्पेस उपलब्ध है, यह भी ध्यान में रख जाना जरूरी है।

जब हम इन नई-पुरानी सीमाओं के बीच दुनिया के सब लोगों की जरूरतों को पूरा करने की योजना बनाते हैं, तो स्पष्ट है कि वर्तमान अभाव की स्थिति को देखते हुए करोड़ों गरीब लोगों के लिए पौष्टिक भोजन, वस्त्र, आवास, दवाओं, कापी-किताब आदि का उत्पादन बढ़ाना होगा। इस उत्पादन को बढ़ाने में हम पूरा प्रयास कर सकते हैं कि ग्रीनहाऊस गैस के उत्सर्जन को कम करने वाली तकनीकों का उपयोग हो पर यह एक सीमा तक ही संभव होगा। अत: यदि गरीब लोगों के लिए जरूरी उत्पादन बढ़ाना है, तो उसके लिए जरूरी प्राकृतिक संसाधन और कार्बन स्पेस प्राप्त करने के लिए साथ ही  जरूरी हो जाता है कि विलासिता की वस्तुओं और गैर-जरूरी वस्तुओं का उत्पादन कम किया जाए।

ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यदि गरीब लोगों के लिए जरूरी उत्पादन को प्राथमिकता देने वाला नियोजन न किया गया तो फिर विश्व स्तर पर बाजार की मांग के अनुकूल ही उत्पादन होता रहेगा। वर्तमान विषमताओं वाले समाज में विश्व के धनी व्यक्तियों के पास क्रय शक्ति बेहद अन्यायपूर्ण हद तक केंद्रित है, अत: बाजार में उनकी गैर-जरूरी और विलासिता की वस्तुओं की मांग को प्राथमिकता मिलती रहेगी। अत: इन्हीं वस्तुओं के उत्पादन को प्राथमिकता मिलेगी। सीमित प्राकृतिक संसाधनों और कार्बन स्पेस का उपयोग इन गैर-जरूरी वस्तुओं के उत्पादन के लिए होगा। गरीब लोगों की जरूरी वस्तुएं पीछे छूट जाएंगी, उनका अभाव बना रहेगा या और बढ़ जाएगा। अत: जरूरी है कि ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन को कम करने की योजना से विश्व के सभी लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की योजना को जोड़ दिया जाए और उपलब्ध कार्बन स्पेस में बुनियादी जरूरतों को प्राथमिकता देना अनिवार्य बना दिया जाए। इस योजना के तहत जब गैर-जरूरी उत्पादों को प्राथमिकता से हटाया जाएगा तो जरूरी सी बात है कि सब तरह के हथियारों के उत्पादन में बहुत कमी लाई जा सकेगी।

मनुष्य और अन्य जीवों की भलाई की दृष्टि से देखें तो हथियार न केवल सबसे अधिक गैर-जरूरी हैं अपितु सबसे अधिक हानिकारक भी हैं। इसी तरह अनेक हानिकारक उत्पाद और भी हैं (शराब, सिगरेट, कुछ बेहद खतरनाक केमिकल्स आदि), जिनके उत्पादन को कम करना जरूरी है। इन हानिकारक उत्पादों विशेषकर हथियारों के उत्पादन को कम करने में अनेक पेचीदगियां हैं, अनेक कठिनाइयां और बाधाएं हैं पर ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन को कम करने की अनिवार्यता के दौर में इन उत्पादों को न्यूनतम करने का औचित्य पहले से कहीं अधिक मजबूत हो गया है। इस तरह की योजना पर्यावरण आंदोलन को न्याय और समता आंदोलन के नजदीक लाती है, और साथ ही इन दोनों आंदोलनों को शांति आंदोलन के नजदीक लाती है। ये तीनों सरोकार एक होंगे तो दुनिया की भलाई के कई महत्त्वपूर्ण कार्य आगे बढ़ेंगे।

इस दृष्टिकोण से देखें तो यह भी स्पष्ट हो जाता है कि जलवायु बदलाव के मौजूदा दौर में समता और अमन-शांति को बढ़ाना पहले से और भी जरूरी हो गया है। जलवायु बदलाव के इस न्यायसंगत समझ के आधार पर जो एजेंडा तैयार होगा, वह महात्मा गांधी के विचारों के बहुत अनुरूप है क्योंकि इसमें अमन-शांति, निस्त्रीकरण, समता को बढ़ाने और उपभोक्तावाद को कम करने पर अधिक महत्त्व दिया गया है।

RELATED ARTICLES

ब्रिटेन- कुऑ और खाई

श्रुति व्यास उनके अपने देश में कल का कोई ठिकाना न था। इसलिए वे एक बेगाने देश में गए। लेकिन वहां भी उनका कोई ठिकाना...

ईवीएम का विवादित मसला

अगर ईवीएम अविश्वसनीय हैं, तो फिर कांग्रेस या संपूर्ण विपक्ष को इस मुद्दे को एक संगठित ढंग से उठाना चाहिए। साथ ही इन दलों...

यूक्रेन- आल इज नॉट वेल

श्रुति व्यास आल इज नॉट वेल। दिसंबर जऱा भी खुशनुमा नहीं है। हवा में उदासी और निराशा घुली हुई है। सन् 2023, इतिहास बनने वाला...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Latest Post

पंडित धीरेंद्र शास्त्री को मिली जान से मारने की धमकी, लॉरेंस बिश्नोई गैंग नाम की मेल आईडी से आया मैसेज

छतरपुर। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को एक बार फिर जान से मारने की धमकी मिली है। बताया जा रहा है कि...

सर्दी में खाते हैं ज्यादा संतरे तो बिल्कुल भी न खाएं… हो सकती है ये गंभीर बीमारी

सर्दी का मौसम आते ही संतरा मार्केट से सजा हुआ होता है। हेल्थ एक्सपर्ट भी अक्सर कहते हैं कि सीजनल फल जरूर खाना चाहिए...

पीएम मोदी की अपील का दिखा सोशल मीडिया पर असर, X में नम्बर 1 पर ट्रेंड हुआ #WeddingDestinationUttarakhand

उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के समापन कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे अमित शाह, X पर देश भर में ट्रेंड हुआ #AmitShahInUKGIS2023 देहरादून। सीएम धामी के...

राज्य को मिला ‘इन्वेस्टमेंट’ और सीएम धामी को ‘पॉलिटिकल माइलेज’

‘उत्तराखण्ड ग्लोबल इन्वेस्टर समिट’ के सफल आयोजन से मुख्यमंत्री धामी ने खींची लम्बी लकीर सम्मेलन में लक्ष्य से ज्यादा हुए निवेश करार, मोदी-शाह ने थपथपाई...

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में निशुल्क जांच शिविर 11 से

देहरादून। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में नसों की बीमारियो की जांच हेतु निःशुल्क प उपचार उपलब्ध है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में बिना चीर-फाड़ किये...

ब्रिटेन- कुऑ और खाई

श्रुति व्यास उनके अपने देश में कल का कोई ठिकाना न था। इसलिए वे एक बेगाने देश में गए। लेकिन वहां भी उनका कोई ठिकाना...

अमित शाह ने सीएम धामी को दिए 100/100 मार्क्स

बोले, धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड ने की सर्वाधिक प्रगति ‘मिशल सिलक्यारा’ की सफलता का श्रेय भी दिया धामी को कहा शांत मन और आत्म विश्वास...

गृहमंत्री अमित शाह आज उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के समापन कार्यक्रम में करेंगे शिरकत 

देहरादून। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को दो दिवसीय उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 का शुभारंभ किया था। दो दिवसीय उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 का आज...

सीएम धामी ने वरिष्ठ भाजपा नेता ‘गांववासी’ के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भाजपा कार्यालय, देहरादून पहुंचकर पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता मोहन सिंह रावत ‘गांववासी’ के पार्थिव शरीर पर...

महिला ने ससुराल पक्ष के लाेगों पर लगाया दहेज का मुकदमा, मारपीट करने का भी आरोप

रामनगर। एक महिला ने काशीपुर में रहने वाले अपने ससुराल पक्ष के लाेगों पर दहेज का मुकदमा दर्ज कराया है। कोतवाली में दी गई तहरीर...